Corona ki Made in India Vaccine ka Sabse Bada Tikakran Abhiyaan


जब से भयंकर कोरोना महामारी ने समस्त विश्व के साथ भारत में अपनी जडें फैलाना आरम्भ किया। तब से प्रत्येक व्यक्ति के मन में एक ही प्रश्न था कि इसकी वैक्सीन कब आयेगी।

आज वह ऐतिहासिक दिन आ ही गया जब कोरोना Corona की Made IN INDIA vaccine ka sabse bada tikakran abhiyaan वैक्सीन का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान हमारे तेजस्वी प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए अपने हाथों से किया।


यह देश और देशवासियों के लिए गर्व और सम्मान का विषय है। कि आज  वह स्वामी दिवस का उदय हुआ। जब हमारे पास आत्मनिर्भर भारत की, भारत में निर्मित दो-दो वैक्सीन हैं


साथ ही अन्य और वैक्सीन पर युद्ध स्तर पर कार्य चल रहा है। आज प्रत्येक देशवासी हमारे स्वास्थ्य कर्मीयों और वैज्ञानिकों का आभारी है 


उन्होंने इस विकट परिस्थितियों में रात दिन एक करके। इतने कम समय में अपनी कुशलता और योग्यता का परिचय पूरी दुनिया के समक्ष प्रस्तुत किया है


जैसे कितने घने से घने बादल ही क्यों ना हों?  वह सूर्योदय को अधिक समय तक ढक कर नहीं रख सकते। उन्हें हटना ही पड़ता है। 


ठीक उसी प्रकार भारत की शक्ति को भी विश्व की कोई भी महामारी अधिक समय रोक कर नहीं रख सकती। आज हमरा देश बदल रहा है। समय बदल रहा है


आज देश समस्त देशवासियों का आभारी है। उन्होंने कोविड की इस महामारी में धैर्य एवम्ं संयम से देश का एकजुटता से साथ निभाया

समस्त विश्व कोरोना वैक्सीन की खोज में है


सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः की भावना को ध्यान में रखते हुए कार्य किया है। और आज वह ऐतिहासिक समय आ गया


जब देश के 3006 केन्द्रो पर भारतवर्ष में यह महा टीकाकरण अभियान आरम्भ हो गया। यह बहुत ही प्रशन्नता और हर्ष का विषय है


Corona ki Made in India Vaccine ka Sabse Bada Tikakran Abhiyaan
मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन


सबसे पहले एम्स दिल्ली के डॉ.रणदीप गुलेरिया को स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन आर्या, भारत सरकार की गरिमा मई उपस्थित में उन्हें यह टीका लगाया गया।


साथ ही नीति आयोग के सदस्य वैक्सीन टास्क फोर्स अध्यक्ष डॉ. वी के पॉल को दूसरा टीका लगाया गया।


इस पहले अभियान में 3 करोड़ फ्रण्ट बर्कर स्वास्थ्य कर्मीयों चाहें वह सरकारी स्वास्थ्य कर्मी हों अथवा प्राइवेट अस्पताल के, सफाई कर्मचारियों, सुरक्षा बलों, फार्म ब्रिगेड और पुलिस मित्रों को इस टीकाकरण में सम्मिलित किया जायेगा


और इस प्रथम महा अभियान का समस्त खर्च भारत सरकार के माध्यम से उठाया जायेगा। यह इन सभी सामने से कार्य करने के लिए इनके प्रति आदर सम्मान है।

मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति वाली पावरफुल सरकार


इसके एक माह पश्चात कैलंडर 19 की दूसरी डोज लगाने के लिए अभियान चलाया जायेगा। और विशेषज्ञों एक्सपर्टों का कहना है कि इसकी दूसरी डोज लगना अत्यंत ही आवश्यक है


टीका लगने के 2 हप्ते बाद शरीर में इसके प्रति एण्टीबाडीज विकसित होगी। इसलिए पहला टीका लगने के बाद के बाद भी सावधानी रखना बहुत जरुरी है


मास्क लगाना बार बार हाथ धोते रहना गन्दे हाथ आंखों में व चैहरे पर ना लगायें। सैनटाइजेशन करते रहें। और परम आवश्यक दो गज की दूरी को बनाये रखना है

कोरोना वायरस से बचाव का एक मात्र साधन है


अब मेडिसिन वैक्सीन भी और कढाई से सावधानी भी बनाये रखना है। दूसरी डोज के अभियान में 30 करोड़ लोगों को यह टीका लगाया जायेगा


30 करोड़ से जादा आबादी वाले मात्र तीन ही देश हैं। अमेरिका, चीन और हमारा भारत। बांकी इतनी आबादी में विश्व के कई देशों की जनसंख्या के बराबर है। 

बदलाव एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है, जो लगातार चलती ही रहती है। 


इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि यह कितना बड़ा अभियान है। विदेशों में बनी दवाईयों को लगभग -70॰  तापमान पर स्टोर किया जाना आवश्यक है


अन्यथा यह प्रभाव हीन हो सकती हैं। और एक डोज की कीमत अधिक है। जो जन सामान्य के लिए बहुत महंगी  होंगी


जबकि भारतीय वैक्सीन भारत में प्रत्येक प्रकार के वातावरण के अनुकूल है। यह सुरक्षित है। और यह अन्य देशों की कीमत की अपेक्षा बहुत कम कीमत पर ही उपलब्ध होंगी

पर्यावरण में प्लास्टिक और पालीथीन एक अंतहीन समस्या नहीं


भारत में निर्मित दवाईयां एवम्ं वैक्सीन सस्ती होती हैं। विश्व भर में 60 करोड़ बच्चों को लगाई जाने वाले लाइफ सेविंग टीका भारत में ही बनते हैं। 

लोकल ब्राण्डों से विकास एवं अर्थव्यवस्था को गति 


यहां निर्मित मेडिसिन पर विश्व भर के लोगों को अधिक भरोसा है। इसलिए इनका इतनी बड़ी मात्रा में यहां उत्पादन होता है


जब कोरोना महामारी का काल आरम्भ हुआ था। तब भारत के पास मात्र एक लैब थी। किन्तु आज 2300 टैस्टिंग लोगों का शक्तिशाली विस्तृत नेटवर्क उपलब्ध है


यह हमारी आत्मनिर्भरता की ओर तीव्रता से बढते कदम हैं। विश्व भर में कोशिश 19 के दौरान जैसी अत्यंत ही भयंकर स्थिति थी। 


वह किसी को भी विचलित करने वाली स्थिति थी। ऐसी परिस्थितियों में धैर्य से व्यवस्थित रहना। अत्यंत ही कठिन कार्य था


किन्तु भारतीयों ने इस कार्य को अपने महान धैर्य संयम से सफलतापूर्वक कर अपनी अदभुत और आश्चर्यचकीत कर देने वाली महान शक्ति का प्रदर्शन कर विश्व भर में एक नई मिशाल स्थापित की। जो अत्यंत ही सराहनीय है।


जनता कर्फ्यू ने देशवासियों को लॉक्डाउन प्रति मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर सक्रिय रुप से तैयार किया। 


जिसने इसके दौरान इसका पालन करने में एवम्ं अनुशासन बनाये में अपना विशेष सहयोग प्रदान किया। लोहा पूरी दुनिया मान रही है।


125 करोड़ की जनसंख्या को लॉक्डाउन में अपने अपने घरों में रखना। विश्व का सबसे अधिक असम्भव कार्य था। जिसे भारतीयों ने कुशलता से सफल कर दिखाया।


कोरोना के कारण लोगों की नौकरियां जा रही थीं। रोजगार बन्द होते जा रहे थे। आर्थिक स्थिति कमजोर होती जा रही थी। मध्यम वर्ग की जमा पूंजी हाथ से छूटती जा रही थी।


अर्थव्यवस्था निरन्तर निचले स्तर की ओर फिसलती जा रही थी। सेंसेक्स और निफ्टी जैसे प्रमुख सूचकांक भी निरन्तर नये नये निचले स्तर के रिकॉर्ड एवम् मनोवैज्ञानिक स्तर तक गिरते जा रहे थे। 


फिर भी इस असहनीय स्थिति का सामना हमारे भारतीयों ने बड़ी ही कुशलता के साथ किया। और भारत सरकार ने जान है तो जहान है के सूत्र को अपनाते हुए लॉक्डाउन जैसी कठोर स्थिति को बनाये रखा। 


भारतीय रेल के पहिये यात्रीयों के लिए बन्द करने पडे। जो एक कठोर निर्णय था। यात्रीयों की सुविधा के लिए त्वरित विस्तृत काल सेन्टर स्थापित किया गया।


जिसने करोड़ों करोड़ कॉल्स का उत्तर दिया। और व्यवस्था को बनाये रखने में अपना अमूल्य सहयोग प्रदान किया। 

वितरण एवम्ं सपलाई को सुचारु रुप से सामान्य बनाये रखने के लिए माल गाडीयों की गति और संख्या को बताया गया।


हमारे सामने की हमारे सामने की महामारीयां भी आईं, कठिन युद्धों का भी सामना किया। और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का सामना भी किया। 


किन्तु कोशिश की इस महामारी की कल्पना किसी ने भी कभी नहीं की। अमेरिका इटली जैसे विकसित देशों की स्थिति अत्यंत ही भयानक होती जा रही थी।


कोशिश सुरक्षा किट वेंटिलेटरों की संख्या और अन्य मेडिकल सुविधाओं की कमी उत्पन्न होती जा रही थी। जो लोगों को विचलित कर रही थीं। 


ऐसी परिस्थितियों में चीन जैसे देश ने अपने नागरिकों को कोरोना से जूझने के लिए छोड़ दिया। जवकि भारत न वहां फसे एक एक भारतीय को बाहर निकाला और साथ ही वहां फसे विदेशी नागरिकों को भी निकाला।


किन्तु इस कठोर समय भारत ने अनुशासन बनाये रखते हुए आत्मनिर्भरता का नया ऐतिहासिक अध्याय रच डाला। आज हमारी इस ढृढ़ता की सराहना विश्व भर में हो रही है। 


हमारे देश ने अपनी दो दो कोरोना की मेड इन इंडिया वैक्सीन का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान का आरंभ कर दिया। इस वायरस से निर्णायक विजय की ओर सफल कदम बडा दिया है।