समस्त विश्व कोरोना वैक्सीन 
की खोज में है


वैश्विक स्तर पर व्यापत कोरोना महामारी के चलते। समस्त विश्व कोरोना वैक्सीन की खोज में लगा है। सभी देशों की सरकारें इन परिस्थितियों पर अपनी नजरें बनाये हुऐ हैं।



समस्त विश्व कोरोना कोविड19 वैक्सीन की खोज में लगा है
कोरोना वैक्सीन



वैज्ञानिक अपना सर्वोत्तम प्रयास कर रहे हैं। उनको समभानाऐं हैं कि वह बहुत जल्द ही इस कार्य को पूर्ण कर लेंंगे। और वैक्सीन को जनता के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। जिससे हमारे नागरिकों केे अमूल्य जीवन की सुरक्षा की जा सके।



क्योंकि भारत सहित विश्व भर के लोग इससे पिडित हैं। वह शीघ्र अति शीघ्र इस महामारी से मुक्त होना चाहते हैं। इसने बहुत बडे पैमाने पर जान-माल को प्रभावित किया है। भारत सहित विश्व की अर्थव्यवस्था का ग्राफ नीचे की ओर गिरा है।


लोकल ब्राण्डों से विकास एवं अर्थव्यवस्था को गति 



इसकी पूर्ति करने में एक लम्बा समय लगेगा। प्रत्येक देश की सरकारें इसी में अपना ध्यान केंद्रित किये हुए हैं कि इसको जल्द से जल्द कैसे दूर किया जाये। वह सभी सावधानीयों  के साथ इस कार्य को पूर्ण करना चाहती हैं। जिससे इस विकट परिस्थिति को बदला जा सके। और सामान्य फिर से लौट आये।



वैश्विक स्तर पर कोविड19 वैक्सीन की खोज


विश्व भर के मेडिकल संस्थान इस कोविड19 वैक्सीन की खोज को जल्द ही पूर्ण करना चाहती हैं। फार्मा कम्पनियों ने अपना पूरा ध्यान इस पर ही केन्द्रित कर रखा है। उन्होंने ने रिसर्च बजट में खासा वृद्धि की है।



क्योंकि भविष्य में इस खोज पर ही विश्व की दशा और दिशा निर्धारित होगी। यह विकट महामारी मानवता के समक्ष बड़ी चुन्नौती बन गयी है। इसका समाधान शीघ्र अति शीघ्र बहुत आवश्यक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी प्रत्येक रिसर्च पर अपनी नजर बनाये हुऐ है।


विश्वव में कोरोना वायरस के आक्रमण और दुशप्रभाव



कई मेडिकल संस्थानों की खोज पहले और दूसरे चरण में कर चुकी है। फेस वन और टू क्लिनिकल ट्रायल की तैयारियां चल रही हैं। यह उम्मीद की किरण है। जिसने सभी के साहस को बल प्रदान किया है। इस वायरस से संघर्ष में इस साहस ने ही मुख्य अस्त्र की भूमिका निभाई है।



फेस पहले और दूसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल


भारतीय फार्मा कम्पनी भारत बायोटेक प्रथम चरण के कोविड19 वैक्सीन के ट्रायल को करने वाली सबसे पहली कम्पनी है। इन्होंने रोहतक में 375 लोगों पर इसका परिक्षण आरम्भ कर दिया है।




इनके प्रथम चरण के क्लिनिकल ट्रायल के परिणामों के आधार पर वैक्सीन को सुरक्षित पाया गया है। और इसके आगे के परिक्षष जारी हैं। यह शीघ्र ही सफलतापूर्वक कार्य पूरा कर लेंंगे। ऐसा भरोसा है



जायडस कैडिला की रिसर्च भी पथम और दूसरे चरण में पहुँच चुकी है। साथ ही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भी आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ वैक्सीन की खोज में लगी है। इन्होंने पहले और दूसरे टेस्ट  कम्पनियां ट्रायल से प्राप्त परिणामों से बहुत उत्साहित हैं। इससे प्राप्त डेटा के विस्तृत निरिक्षण के बाद अगले चरणों की प्रक्रिया चल रही है


मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति वाली पावरफुल सरकार



इन परिक्षणों के सफल होने के साथ ही हमारे समक्ष कोविड19 वैक्सीन आ जायेगी। तत्पश्चात इसका बडे पैमाने पर उत्पादन शुरु हो जायेगा। भारत में अभी 6,61,595 लोग इस वायरस से संक्रमित हैं। और यह संख्या भी अपनी गति से बड़ाती जा रही है। 



किन्तु इसके ट्रांसफार्मेशन की संख्या में काफी कमी भी आयी है। विश्व भर में कोरोना पाजिटिव मरीजों की संख्या गम्भीर चिंता का विषय है। इसका ग्राफ में गुणात्मक रुप से वृद्धि कर रहा है



कोविड19 संक्रमित खाद्य पदार्थ एवं वस्तुऐं


भारत में कोविड19 के संक्रमण के साथ ही बडे स्तर पर सैनेटाइजेशन का कार्य आरम्भ कर दिया गया। यह एक संक्रमण की बिमारी है क्योंकि यह चाहें हमारे आस-पास की वस्तुऐं हों अथवा संक्रमित खाद्य पदार्थों के माध्यम से भी यह फैल सकता है। 



इन संक्रमित वस्तुओं के सम्पर्क में आने से यह वायरस ट्रांसफर हो जाता जाता है। इसके फैलने की गति बहुत तेज है


पर्यावरण में प्लास्टिक और पालीथीन एक अंतहीन समस्या नहीं



कई वस्तुओं पर यह काफी अधिक समय तक  जीवित रह सकता है। अत: इस खतरनाक वायरस की गम्भीरता को धयान में रखते हुए। हमें मास्क और सैनेटाइजेशन की विशेष सावधानी रखनी चाहिए। साथ ही दो गज की दूरी हमेशा बनाये रखना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। हमारे अपने के लिए और दूसरों के लिए भी



पूरी दुनिया से कही जादा कोरोना वायरस से रिकवरी दर भारत में है। कई रिसर्च परिणमन के अनुसार भारतीय भूमि और वातावरण अन्य देशों की तुलना में बहुत जादा सुरक्षित है। यहाँ इसका प्रभाव कम हो गया है



इसलिए यहाँ इस बीमारी से मरीज ठीक हो जा रहे हैं। और मृत्यु दर भी कम है। इसके संक्रमण काल के समय से ही कम है। हमारी इससे लडने की क्षमता आश्चर्यजनक रूप से काफी जादा है। इस तथ्य को जानकर दुनिया भर के वैज्ञानिक भी अचम्भित हैं। यह हमारे लिए प्लस पाइंट है। सभी चरणो के क्लिनिकल परिक्षणों के परिणामों के आधार पर ही उत्पादन प्रक्रिया आरम्भ हो पायेगी


कोरोना वायरस से बचाव का एक मात्र साधन है



हालांकि सीरम इंस्टीट्यूट के CEO Adar पूनावाला के  अनुसार उनका संस्थान द्वारा अगस्त के बाद वैक्सीन के उत्पादन की सम्भावनाऐं जताई जा रही हैं। सब कुछ सही रहा तो जल्द ही भारतीय कम्पनियां इसको लौन्च कर सकेंगी। 



कोरोना महामारी के इस संघर्ष में हमारी यह बड़ी सफलता सिद्ध होगी। और इसके उत्पादन के साथ ही हम इसको हराने सफलता प्राप्त कर सकेंगे   इसके साथ ही इतिहास में हमारी सफलता का एक और स्वार्णीम अध्याय जुड जायेगा



किन्तु हमें इस प्रकार की महामारी का सफलतापूर्वक और सरलता से सामना करने के लिए पूर्ण रुप से किसी भी समय तैयार रहना होगा। तभी हम ऐसी समस्याओं से सुरक्षित वातावरण निर्माण कर सकेंगे



जैसे समस्त विश्व कोरोना वैक्सीन खोज की रेस में लगा है। इससे हमें शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए कि जब हम ऐसी किसी भी महामारी की चुनौती का सामना करने में समर्थ होंगे। तभी हमारे लिए इस उन्नत तकनीक और साइंस की उपयोगिता सार्थक सिद्ध हो पायेगी। और हमारी यह खोज भी। जिसमें हमारे रिसर्चर सभी की तरह एक ही दिशा में अपनी नौसेना और टैकनोलौजी का उपयोग किया जा रहा है