राम मंदिर निर्माण हेतु भूमि पूजन
आज 05 अगस्त 2020 को राम मंदिर निर्माण हेतु भूमि पूजन का भव्य आयोजन बहुत ही हर्षोल्लास से हुआ। जिसकी प्रत्येक भारतीय को अनेकों वर्षों से प्रतिक्षा थी।
इस आयोजन का आमंत्रण 175 अतिथियों को राम मन्दिर निर्माण ट्रस्ट की ओर से भेजा गया। जिसमें माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी मुख्य अतिथि थे। उन्होंने ही भूमि पूजन को पूर्ण विधि विधान से श्रद्धा भाव से समपन्न कराया।
वह वायु मार्ग से लखनऊ होते हुए अयोध्या धाम पहुंचे। फिर सबसे पहले हनुमानगढ़ी हनुमान जी के दर्शन कर आशीर्वाद लिया।और उनसे पूजन कराने की आज्ञया भी ली। जिससे आयोजन पूर्णरुप से सफल हो।
इसके पश्चात रामलला मन्दिर परिसर में उन्होंने पारिजात का वृक्ष लगाया। कहा जाता है कि यह वृक्ष माता लक्ष्मी को अति प्रिय है।
इस आयोजन के साक्षी समस्त ब्रहमाण्ड, देवी-देवताओं के साथ प्रदेश के ऊर्जावान मुख्यमंत्री माननीय श्री आदित्य योगी नाथ, राज्यपाल महोदया श्रीमती आन्दीवेन पटेल, संघ सरचालक श्रीमान मोहन भागवत, मन्दिर निर्माण ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास, समस्त अतिथि और दूरदर्शन के माध्यम से भारत सहित समपूर्ण विश्व बना।
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ऐसा प्रतीत हो रहा है। जैसेकि श्रीराम एक बार पुनः धरती पर अवतरित हो गये हों। प्रत्येक कण-कण राममय हो गया है।
पूजन में 9 शिलाओं रखी गयीं। जिन पर राम नाम अंकित किया हुआ है। कांचीपुरम पीठ के शंकराचार्य द्वारा लिखित और भेजी गयी एक चांदी की शिलापट को भी रखा गया।
सर्वप्रथम विघन हरण श्री गणेश का आवाहन और पूजन हुआ। फिर नवग्रह, स्थान देवता, कुल देवता, भैरव आदि के पूजन किया गया। श्रीरामचन्द्र जी की कुल देवी माता का भी पूजन किया गया। तत्पश्चात भूमि पूजन समपन्न हुआ।
अशोक सिंघल ट्रस्ट की ओर से प्रत्येक अतिथि को स्मृति चिन्ह् के रुप में एक चांदी का सिक्का प्रदान किया गया। जिस पर सुन्दर राम दरवार अंकित किया हुआ है।
यह ट्रस्ट अशोक सिंघल जी की याद में बनाया गया है। आज उनकी आत्मा भी इस दृश्य को देखकर बहुत प्रसन्न हो रही होगी। विश्वहिंदू परिषद के माध्यम से उन्होंने इसके लिए निरन्तर संघर्ष और प्रयास किये।
पूजन के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सम्बोधन में अपने हृदय भाव व्यक्त किये-
विदेशी आक्रमणकारियों ने समस्त भारतवर्ष मे अनेकों मन्दिरों को क्षति बहुत पहुंचाई। उन्हें नष्ट भ्रष्ट करने के भरसक प्रयास किये। और उनको तोडकर अपने धार्मिक स्थलों का अवैध निर्माण कराया। इन आतायतियों ने हमारी संस्कृति को भी बहुत क्षति पहुंचाई।
किन्तु आज श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में मन्दिर निर्माण के पूजन में जय सीयाराम के जयघोष से समस्त सृष्टि राममय हो गयी है। और यह जयघोष केवल प्रभु सीयाराम की नगरी में ही नहीं सुनाई दे रहे हैं। अपितु समस्त विश्व में सुनाई दे रहे हैं।
आज भारत भगवान भास्कर के सानिध्य में पवित्र सरयू किनारे एक नया स्वाभिमान अध्याय रच रहा है। जिसके कण-कण में राम हैं।
सदियों से रामलला टाट एवं तिरपाल के नीचे रहे। किन्तु आज रामलला के भव्यमंदिर का आरम्भ भूमि पूजन के साथ हो गया।
जब हम कोई कार्य करते हैं। हम उसकी सफलता के लिए भगवान राम की ओर ही देखते हैं। और कार्य सफल होते हैं।
क्योंकि जहां राम का नाम होता है। वहां श्री संकट मोचन हनुमान का भी साथ होता है। कलयुग में राम के आदर्शों की रक्षा करने का दायित्व उनका ही है।
इमारतें मिट गयीं। अस्तित्व मिटाने के भी बहुत प्रयास हुए। किन्तु फिर भी राम हमारे मन में विराजमान हैं।
इसमें संघर्ष भी था। संकल्प भी था। अर्पण भी है और तर्पण भी है। सदियों से कई महानुभावों की पिडियां निकल गयीं। इस संघर्ष और प्रयास में।
यह राममंदिर केवल मन्दिर ही नहीं। यह हमारी संस्कृति का प्रतीक है। जिसने समस्त विश्व का मार्ग दर्शन किया है। और बहतर जीवन जीना सिखाया है।
इस मन्दिर निर्माण से सम्पूर्ण अयोध्या नगरी का अर्थ तंत्र ही बदल जायेगा। उसका काया कल्प हो जायेगा। क्योंकि यहां समस्त विश्व से सीयाराम के दर्शन करने के लिए लोग आयेंगे। धार्मिक पर्यटक आयेंगे। यह मन्दिर आधुनिक भारत का एक नया स्तम्भ होगा।
जब सर्वोच्च न्यायलय का निर्णय आया था। तो सभीकी भावनाओं का ध्यान रखते हुए सौहार्द का व्यवहार हुआ। आज भी हम वही दर्शय देख रहे हैं। यह हमारे देश की विशेषता है।
विदेशी आक्रताओं से सघर्ष करते हुए। यह भारतीय भूमि एवं संस्कृति सम्पूर्ण विश्व के लिए अध्ययन और शोध का विषय बन गया है। हमारी भूमि एवं संस्कृति पर विश्व भर में अध्ययन एवं शोध होते रहेंगे।
श्रीराम जी ने गुरु विश्वामित्र से ज्ञान प्राप्त किया। केवट, भील एवं निषादराज से प्रेम। श्री हनुमान जी, वानरसेना एवं प्रजाजनों से सहयोग प्राप्त किया। और सबरी से मातृत्व प्राप्त किया। एक गिलहरी तक ने उनके कार्य में प्रदान किया। यह विश्व के लिए आदर्श और दर्शनीय है।
भारत की आस्था में राम हैं। पवित्रता में राम हैं। तुलसी के सगुण राम हैं। वहीं नानकदेव जी और कबीर के भी राम हैं। राम प्रत्येक जीवन के लिए प्रेरणा और भरोसा हैं। अंधकार में उम्मीद की किरण हैं।
कलयुग केवल राम अधारा।सुमिर-सुमिर नर उतरे पारा।।
कश्मीर में रामावतार चरित्र के रुप में रामायण है। तो गुरुगोविंद जी ने गोविन्द रामायण की रचना की है। राम एक आदर्श हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। राम अंनत हैं। वह अनेकता में एकता के सूत्र हैं।
विश्व भर रामायण अनेकों रुपों में है। इण्डोनेशिया में इसे काकविन कहा जाता है। वहां सर्वाधिक मुस्लिम आवादी है। किन्तु फिर भी वहां रामायण का मंचन और अध्ययन बडे भाव से किया जाता है। वहां लोग और बहतर इन्सान बनने के लिए रामायण का अध्ययन करते हैं। यह वहां की संस्कृति और जीवन का अभिन्न अंग है।
थाइलैंड, मलेशिया आदि अनेक देशों में अलग-अलग रुपों में रामायण प्रचलित है। श्रीलंका में जानकी हरण के रुप सुनी और सुनाई जाती है।
यह राम मंदिर लगातार विश्व को मानवता की प्रेरणा प्रदान करता रहेगा। जहां-जहां भगवान राम के चरण पडे वहां-वहां लगातार राम नाम का स्मरण होता रहता है। और उनकी स्मृति चिन्हों का भी निर्माण किया जा रहा है।
उन्होंने विरोध से निकल कर वोधक और शोध का मार्ग दिखाया है। जीवन में भरोसा और साहस स्वाभिमान अध्याय स्थापित किया है। जो मानव के लिए ऊर्जा स्रोत के समान है।
तमिल रामायण में भगवान राम कहते हैं कि अब हमें विश्व नहीं करना है। जीवन में उच्च आदर्शों के साथ आगे बढ़ना है।
राम जी ने कहा है कि भय बिन प्रीत नहीं होती है। और शरण में आये हुए शरणागत की रक्षा करनी है। यह उनकी रीति और नीति है।
हम जितने जादा सक्षम होंगे। हमारे देश की सीमाएं भी उतनी ही सुरक्षित होंगी। और आंतरिक शांति भी स्थापित रहेगी।
अत: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम मंदिर निर्माण हेतु भूमि पूजन और यह मंदिर समस्त विश्व को उच्च आदर्शों के साथ जीवन और विकास की प्रेरणा प्रदान करता रहेगा।
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